जीवरक्षा धाम… जीवरक्षा प्रधान…
जैनो माठे सुधर्म अहिंसा, जीवरक्षा प्रधान,
जीवोनी सुख-शाता काजे, तन-मन-धनना दान,
जैनो माठे सुधर्म अहिंसा, जीवरक्षा प्रधान…(१)
अबोल जीवोनी चिंतामां जेनुं, जीवन विती जाय,
जे प्राणिओने तरछोडे, जैनों कदी ना कहेवाय,
करुणारसनो धोध वहावी, जीवोने ए बचावी ले,
लाखों पांजरपोळ चलावी, कर्मोने ए खपावी ले…
जीवोने बचावी ले… कर्मेने खपावी ले…
जैनो माठे सुधर्म अहिंसा, जीवरक्षा प्रधान… (२)
धर्मचक्र प्रभाव तीरथ, जेमां सहु जीवों सचवाय,
पशुओनुं दर्शन पामीने, हैयुं आ हर्षे उभराय,
आशरो आनंदनो आ जीवोने, जगवल्लभ जणाय,
घासनो एक लाभ लईने, आतम पुण्यातम बनी जाय…
जैनो माठे सुधर्म अहिंसा, जीवरक्षा प्रधान…(३)