जोगी बनीने चाल्या नेमकुमार…
(दुहो)
वादळथी वातो करे, ऊंचो गढ गिरनार,
पावन थई डोली रह्यो, ज्यारे आव्या नेमकुमार,
राजुल आवी साथमां छोडी सकल संसार,
अमर कहानी प्रेमनी गाई रह्यो गिरनार…
(मुखडुं)
जोगी बनीने चाल्या नेमकुमार,
धन्य बन्यो रे पेलो गढ गिरनार,
विचरे ज्यां विश्वना तारणहार,
धन्य बन्यो रे पेलो गढ गिरनार… ॥१॥
जेने जग कल्याणनी लागी लगन,
जीवननी साधनमां मनडुं मगन,
अंतरमां प्रगटे छे प्रीतनी अगन,
आतम उडे छे एनो उंचे गगन (२),
वायरामां वहेती वसंती बहार… ॥२॥
एना प्राणमांथी प्रसरे छे एवो प्रकाश,
भवोभवनी प्रीतडीनो बांध्यो छे पाश,
पूरी छे राजुलना अंतरनी आश (२)
मोक्षे सिधाव्या राजुल नेमकुमार… ॥ ३॥