ज्यां अणधारी आफतनी,
केवी भारे भरमार छे,
सुखना नामथी ललचावे,
त्यां सघळो संसार छे,
रंग रागने भोग तजी, रंगाउ हुं वैराग्यमां,
विरतीना वनरावनमां, विहरवाने काजे,
एक अरजी लईने, अम आव्या तुम पास,
संयम मुहूर्त आपोने, अमने ओ गुरुराज,
जल्दी आपो सजवा छे, अमने संयमना साज…(१)
दुःख छे अपार, वळी सुख क्षणवार,
चारे गतिओमां चाले, केवो पापोनो व्यापार,
तजवो सघळो आ संसार, तोडी सगपण
केरा तार, विरतिधरनी वाठे विहरी,
करवो मारे भवपार, पा पा पगली करावो,
हवे झाली मारो हाथ, एक अरजी लईने,
अम आल्या तुम पास, संयम मुहूर्त आपोने,
अमने ओ गुरुराज,जल्दी आपो सजवा छे,
अमने संयमना साज… (२)
तारो प्रेम छे विशाल,हेत अपरंपार,
मारी नैया डूबे ना, बनजो रक्षणहार,
संयम केरो उपहार, मांगु दिव्य दीदार,
आतम साधनाथी थाशे, काळा कर्मोनी हार,
सर्वे कर्मो खपावी, मळे सिद्धनो संगाथ,
एक अरजी लईने, अम आव्या तुम पास,
संयम मुहूर्त आपोने, अमने ओ गुरुराज,
जल्दी आपो सजवा छे, अमने संयमना साज…(३)