Karo Meree Unnatee Shuru (Hindi)

Karo Meree Unnatee Shuru (Hindi)

करो मेरी उन्नती शुरु, दो मुजको विरती गुरु,

 करो मेरी प्रगति शुरु, दो मुजको विरती गुरु,

 छाई है विकृति, चाहीये निवृत्ति, देही दो स्वीकृति, 

सुनो मेरी विनती गुरु, दो मुजको विरती गुरु…(१)

 

{रोष भरा हुं मैं दोष भरा हुं, 

संसार के मोह मे मैं गिरा हुं).. (२)

 करो जतन ना हो पतन, और ना गिरु.. 

करो मेरी उन्नती शुरु…(२)

 

{पावन हो तुम, मैं खूब बुरा हुं,

 भव चौरासी में खूब फीरा हुं).. (२)

 धरु मैं शीश दो आशीश, और ना फीरु..

 करो मेरी उन्नती शुरु…(३)

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