कोई नंदी बोले, कोई नाण बोले,
एना आराधनमां, आतमराम डोले,
पळ-पळ जिह्वा पावनकारी, जाणे पर्व समान,
मोक्षनी माळा पहेरावे एवुं छे उपधान… आराधो उपधान…(१)
दीवा समकितना झळके, महेंकता पंचाचारो,
कहे वीर वाणी केरा, सुमंगळ सुविचारो,
भाग्यभूमि पर लहेरायुं छे, विरतिनुं उद्यान,
मोक्षनी माळा पहेरावे एवुं छे उपधान… आराधो उपधान…(२)
उगे परोढ पहेलां, प्रभुंनुं ध्यान धरशुं,
पडिक्मणुं करीने, देववंदन करीशुं,
खमासमण सो वार देशुं, आतमने अभिराम,
मोक्षनी माळा पहेरावे एवुं छे उपधान… आराधो उपधान…(३)
तप आरदशुं भावे, गणणुं रोज गणशुं,
मोह सामे झझूमी, आत्मा जय करीशुं,
शंखनाद वाग्यो रे, हालो शरुं थयो संग्राम,
मोक्षनी माळा पहेरावे एवुं छे उपधान… आराधो उपधान…(४)
जो आतम ध्यान धरो तो, अहीं समता सखी थाये,
गुरू मुखेथी सूत्रोना, अधिकारोने पामे,
जयणा मंगल बोली करशुं, विरतिनुं बहुमान,
मोक्षनी माळा पहेरावे एवुं छे उपधान… आराधो उपधान…(५)
जगाणामां पधारो, रहो साहम्मनी सथवारे,
तमारूं स्वागतम् छे, देश विरति दरबारे,
तारणहारा आ तीरथनी, रचना झाझरमान,
मोक्षनी माळा पहेरावे एवुं छे उपधान… आराधो उपधान….(६)
सूरिखरराम राज्ये, महोरी मंजरी आजे,
गुण किर्तीना यशनी, मधुरी बंसरी बाजे,
वसंत छोई छे उपवनमां, करे कोकिला गान,
मोक्षनी माळा पहेरावे एवुं छे उपधान… आराधो उपधान…(७)