कोयल टहुंकी रही मधुबन में,
पार्श्व शामळिया वसो मेरे मन में…
वसो मेरे मन में वसो मेरे दिल में,
पार्श्व शंखेश्वरा वसो मेरे मन में कोयल टहुंकी रही मधुबन में…
काशी देश वाराणसी नगरी, (२ वार)
जन्म लिधो प्रभु क्षत्रिय कुळ में पार्श्व शामळिया…
बाळपणामां प्रभु अद्भुत ज्ञानी, (२ वार)
कमठ को मान हण्यो एक पल में पार्श्व शामळिया…
नाग निकाला काष्ठ चिराकर, (२ वार)
नाग को सुरपति कियो एक छिन में पार्श्व शामळिया…
संयम लई प्रभु विचरवा लाग्या, (२ वार)
संयमे भींज गयो एक रंग में पार्श्व शामळिया…
सम्मेतशिखर प्रभु मोक्षे सिधाव्या, (२ वार)
पार्श्व जी को महिमा, तीन भुवन में पार्श्व शामळिया…
उदयरतन की एही अरज हे, (२ वार)
दिल अटक्यो तोरा चरण कमल में पार्श्व शामळिया…