क्यारे बनीश हूं साचो रे संत,
क्यारे थशे मारा भावनो रे अंत (२ बार)… क्यारे बनीश हूं…
लाख चोराशी ना चोरे ने चोटे,
भटकी रह्यो डुं हुं मारग खोटे, क्यारे मळशे मुजने मुक्तिनो पंथ,
क्यारे थशे मारा भावनो रे अंत क्यारे बनीश हूं…
काळ अनादिनी भूलो छूटेना, घणं ए मथु तो ए पापो खूटे ना,
लावीश ए पापोनो अंत, क्यारे थशे मारा भावनो रे अंत बनीश हूं…
छकाय जीवनी हुं हिंसाय करतो,
पापो अढारे जरीना विसरातो, मोह मायानो हुं रटतो रे मंत्र,
क्यारे थशे मारा भावनो रे अंत क्यारे बनीश हूं…
पतित पावन प्रभुजी उगारो,
रत्नत्रयीनो हुं याचक तारो, साधु बनी मारे थावु महंत,
क्यारे थशे मारा भावनो रे अंत क्यारे बनीश हूं…