लई सन्यास रे, प्रभु पास रे…
ऐने जावुं नथी रे सासरे..
संसार थी लई सन्यास रे.. संस्कृति जाये प्रभु पास रे…
ऐने जावुं नथी रे सासरे.. (१)
अंधारूं छे घोर संसारे, नथी अथडावुं ऐने अंधारे..
ऐने जोईये छे उज्ज्वळ उजास रे..
संस्कृति जाये प्रभु पास रे…
ऐने जावुं नथी रे सासरे.. (२)
संसार मा छे दुर्गंध रे, स्वार्थना छे संबंध रे..
ऐ तो झंखे छे सुंदर सुवास रे..
संस्कृति जाये प्रभु पास रे…
ऐने जावुं नथी रे सासरे.. (३)
पंदर वर्षे ऐ नीकळे छे हर्षे, आपणने तो संसारा आकर्ष..
ऐक छूटवानो करीऐ प्रयास रे..
संस्कृति जाये प्रभु पास रे…
ऐने जावुं नथी रे सासरे.. (४)
संसार थी लई सन्यास रे..
संस्कृति जाये प्रभु पास रे…
ऐने जावुं नथी रे सासरे.. (५)
संसार थी लई सन्यास रे..
संस्कृति जाये प्रभु पास रे… (६)
धर्म संस्कृति… अमर रहो..
त्याग संस्कृति… अमर रहो..
वैराग्य संस्कृति… अमर रहो..
मोक्ष संस्कृति… अमर रहो.. (७)