Me Aaj Darisan Paya (Hindi)

Me Aaj Darisan Paya (Hindi)

में आज दरिसण पाया, श्री नेमिनाथ जिनराया;

 प्रभु शिवादेवीना जाया, प्रभु समुद्रविजय कुल आया,

कर्मोके फंद छोडाया, ब्रह्मचारी नाम धराया;

 जिणे तोडी जगतकी माया. जिणे० में०१

रैवतगिरि मंडनराया, कल्याणक तीन सोहाया;

 दीक्षा केवल शिवराया, जगतारक बिरुद धराया;

तुम बेठे ध्यान लगाया. तुम० में०२

अब सुनो त्रिभुवनराया, में कर्मोके वश आयां;

 में चतुर्गति भटकाया, में दुःख अनंता पाया;

 ते गिनती नहि गिनाया. ते गिनती० में०३

में गर्भावासमें आया, ऊंधे मस्तक लटकाया;

 आहार अरस विरस भुक्ताया, अेम अशुभ करम फल पाया,

 इण दुःखसे नाहीं मुकाया. इण० में०४

नरभव चिंतामणि पाया, तब चार चोर मिल आया;

मुझे चौटेमें लूट खाया, अब सार करो जिनराया;

 किस कारण देर लगाया. किस० में०५

जिणे अंतरगतमें लाया, प्रभु नेमि निरंजन ध्याया;

 दुःख संकट विघन हटाया, ते परमानंद पद पाया;

फिर संसारे नहि आया. फिर० में०६

में दूर दूर देशसें आया, प्रभु चरणे शीश नमाया;

 में अरज करी सुखदाया, तुमे अवधारो महाराया;

 अेम “वीरविजय” गुण गाया. अेम० में० ७

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