मैं वीर के पथ का राही हुं, मैं शासन का सिपाही हुं,
है तन-मन-जीवन शासन को कुरबान…
शासन है मेरी जान, । शासन है मेरी शान…
शासन ही मेरा प्राण, पल-पल चाहुं शासन राग…(१)
कुमारपाल-पेथडशाह जैसी भक्ति हो,
शासन के रक्षा की मुझमें शक्ति हो,
बस शासन का ही गुंजन हो, शासन आँखो का अंजन हो,
जन-जन का हो जिनशासन से कल्याण…(२)
सूरि हेमरत्न गुरूदेव का साथ हो,
गुरु रत्नसुंदर सूरिवर का हाथ हो,
हम शेर सा उठकर आये, हम शेर कदम बधाएं,
एलर्ट का है एक ही यह अरमान…(३)
हर साधर्मिक-साथीओं का उत्कर्ष हो,
सत्कार्यों से हम युवा के आदर्श हो,
श्रमणों की हरपल सेवा हो, दिलमें देवाधिदेवा हो,
एलर्ट के युवा गाते है ये गान…(४)