मनना मनोरथ सवि फळ्या ए…
(राग: नीले गगन के तले…)
मनना मनोरथ सवि फळ्या ए, सिध्या वांछित काज;
पूजो गिरिराजने रे; वंदो गिरिराजने रे, जय गिरिराज (४) !
प्राये ए गिरि शाश्वतो ए, भवजळ तरवा जहाज… पूजो० ॥१॥
मणि माणेक मुक्ताफळे ए, रजत कनकनां फूल;
केसर चंदन घसी घणां ए, बीजी वस्तु अमूल… पूजो० ॥२॥
छट्टे अंगे दाखीयो ए, आठमे अंगे भाख;
थिरावली पयनने वर्णव्यो ए, ए आगमनी साख… पूजो० ॥३॥
विमल करे भविलोकने ए, तेणे विमलाचल जाण;
शुकराजथी विस्तर्यो ए, शत्रुंजय गुण खाण… पूजो० ॥४॥
पुंडरीक गणधरथी थयो ए, पुंडरीक गिरि गुणधाम;
सुर-नरकृत एम जाणीए ए, उत्तम एकवीश नाम… पूजो० ॥५॥
ए गिरिवरना गुण घणा ए, नाणीए नवि कहेवाय;
जाणे पण कही नवि शके ए, मूक गुडने न्याय… पूजो० ॥६॥
गिरिवर फरसन नवि कर्यो ए, ते रह्यो गर्भावास;
नमन दरसन फरसन कर्यो ए, पूरे मननी आश… पूजो० ॥७॥
आज महोदय में लह्यो ए, पाम्यो प्रमोद रसाळ,
‘मणि’ उद्योतगिरि सेवतां ए, घेर घेर मंगल माळ… पूजो० ॥ ८॥