Navkar Mantra Bahubali Theme | Jain Stavan | Hindi Lyrics

Navkar Mantra Bahubali Theme | Jain Stavan | Hindi Lyrics

नवकार मंत्र बाहुबली थीम (Hindi Lyrics) जैन स्तवन

मनुष्य द्वीप असंख्यता , है चउ गति भ्रमण वहाँ,

है मोक्ष ढाई द्वीप से , ही आर्य भूमि से सदा,

अरिहंत जन्मते जहाँ , वो पंद्रह कर्मभूमिया,

असि , मसि , कृषि वहाँ , है धर्म साधना वहाँ,

नमो अरिहंताणं , नमो अरिहंताणं

पुरषो में सिंह सम , लोक में उत्तम

चरण अंगूठे ये , मेरु कंपाये,

सिहासन डोलता है इंद्र का भी होते जब प्रभु के कल्याणक,

जन्मते क्षत्रिय वंश में , वैभव है राज पाठ है,

पटरानी के सपूत वे , पिता भी सम्राट है,

मेरु शिखर पे इंद्र 64 बनाते स्नात्र है,

अतुल्य बल भुजाओ में लक्षण सहस्त्र आठ है,

  श्वेत वर्ण रक्त है , धन सुगंध युक्त है ,

प्रस्वेद मूत्र मल नही , आहार भी अदृश्य है,

दीक्षा ग्रहण करे प्रभु , पंच मुष्टि लोच से,

शुक्ल ध्यान में रहे , आत्म रिपु से लड़े,

करते विघात कर्म से , कैवल्य का सूरज उगे,

योजन भूमि में देवता , त्रिगढ़ समोवशरण रचे,

पूर्व से प्रवेश कर प्रभु प्रदीक्षणा करे

नमो तिथस्स बोलकर पूर्वाभिमुख बुराजते,

मालकौंस राग में , अर्धमागधी भाष्य में,

चौमुखी देशना दे बारह पर्षदा सुने,

धर्म तीर्थ स्थापे प्रभु , द्वीपदी प्रकाशते,

बारह अंग गणधर पल भर में रचे

अठारह दोषों से रहित, अनंत गुण है शोभते,

सर्वज्ञ है अरिहंत है , तीनो लोक पूजते,

पैतीस गुणवर्णी में चौतीस अतिशय खले,

वे द्रव्य भाव से नाटकोको प्रकाशते,

हितैषी है उपकारी है , हर जीव के प्रभु सदा,

सम्यक्त्व रत्न वो हृदय करे क्षमा दया कृपा,

तिरते और तारते भवि जीवो के साथवा,

प्रदीप अरिहंत नमे , धर्म ये है महान,

नमो अरिहंताणं , नमो अरिहंताणं

पुरषो में सिंह सम , लोक में उत्तम

चरण अंगूठे ये , मेरु कंपाये,

सिहासन डोलता है इंद्र का भी होते जब प्रभु के कल्याणक

Related Articles