नेम पधारो देश मारे, नेम पधारो देश,
अंतरथी हुं विनवु तमने, आवी करोने
प्रवेश, नेम पधारो देश मारे,
नेम पधारो देश…(१)
सौना मुख आ तारी वातो,
आ तारी वातोमां तु ज देखतो,
स्पर्शनो आनंद भरायो,
आनंद मारो शुं प्रभु जाणो?
तारा स्मरणे वित्या दिवसो,
ए दिवसोनो आनंद भरायो,
तारा स्पर्शननी ए वेदना,
तने ज मळवानी एक झंखना.(२)
राह जोइ हुं बैठो वर्षोथी,आवशे
तुं मळवा, द्वार उघड्या आजे लागे,
आवशे तुं वरवा, मंडायो खालीपो वर्षोथी,
दूर करोने नेम, तुज विण केम जीवुं,
मुजने खबर,आवी मळोने नेम…
आवो नेम तामे आवो…
नेम पधारो देश मारे…..(३)
हैयुं मारुं ने स्पर्श तारो,
हुं एज विचारूं, क्यारे आवशे वारो,
तने मळवा आव्यो, हुं एक नथी,
तारा माटे लाव्यो, हुं भेत नथी,
मारी आंखो तरसे जोवा तुजने,
आवो धरीन लेश, हुं भाव धरीने बैठो,
मारे करवो छे अभिषेक,
तुं दूर गयो छे जयारथी,
मारो खाली पड्यो छे प्रदेश,
अंतस्थी हुं विनवु तमने,
आवी करोने प्रवेश….(४)
तारी वातो मुजने बोलावे,
आवुं तारी पासे तुं हैयुं खोलावे,
भारा आतमने साचवजो स्वामी,
तारी पासे राखो भने तारो जाणी,
नेम पधारो देश मारे….(५)