नेमीश्वरजी श्याम सलूणां,
आदीश्वरजी सोनल वरणां…
एक वसे छे गढ गिरनारे,
बीजा राजा विमलाचलनां….(१)
जात्रा करतां पगले पगले,
पुण्य तणां अवतारा,
नेमजी आंखनां तारा,
नेमजी छे कामणगारा…
ऋषभजी प्रीतम छे मारा,
ऋषभजी प्राणथी प्यारा….(२)
तमे धरानां कण-कणमां छो,
काळपुरुषनी क्षण-क्षणमां छो,
वादळ-जळ ने अंजळमां छो,
तमे कलम ने कागळमां छो,
आंखोनी सन्मुख तमे छो,
भीतर सघळुं सुख तमे छो,
चंदननी पूजा थाळी छो,
आरती टाणे दिवाळी छो,
जात्रा करतां पगले पगले,
पुण्य तणां अवतारा,
नेमजी आंखनां तारा,
नेमजी छे कामणगारा…
ऋषभजी प्रीतम छे मारा,
ऋषभजी प्राणथी प्यारा…(३)
तमे अजबनां बडभागी छो,
राजुल त्यागी वैरागी छो,
तमे गिरनां रस्ताओ छो,
रहनेमीनो पस्तावो छो,
सहसावननां ईतिहासे छो,
दीवाओनां अजवाशे छो,
सपनानी आवन जावन छो,
“उद्यरतन”ना मन भावन छो,
जात्रा करतां पगले पगले,
पुण्य तणां अवतारा,
नेमजी आंखनां तारा,
नेमजी छे कामणगारा….
ऋषभजी प्रीतम छे मारा,
ऋषभजी प्राणथी प्यारा…(४)