Nirakhata Tujne Prabhu (Hindi)

Nirakhata Tujne Prabhu (Hindi)

निरखता तुजने प्रभु,

मुज देह रोमांचित बने,

तारी करुणा धार वहेता,

दोषो मारा उपशमे.(१)

 

 प्रभु मन थकी तुं ना खसे,

मुज आसपासमां तु वसे;

मुज श्वास ने उच्छवास मां,

बस एक तुं ही तुं श्वसे,

मारा मननुं ए संगीत रे,

बस तुं ही मननो मीत रे… (२)

 

होठनुं ए मधुर स्मित,

ने निर्विकारी छे नयन,

पूर्णिमाना चंद्रथी पण

सौम्य शीतल छे वदन;

देखाय मुजने तुं दश दिशे,

जाणे मुजने जोईने तु हसे…

मुज श्वासने… मारा मननुं…(३)

 

चित्तनी प्रसन्नता मळे,

ताहरा पूजन थकी,

 भाग्य खिले माहरु प्रभु,

तारा गुणकीर्तन थकी;

 प्रभु ताहरा बस एक स्पर्शे,

कर्मो मारा दूर जशे…

मुज श्वासने… मारा मननुं…(४)

Related Articles