ओ नाथ, ओ नाथ, नेमिनाथ, ओ नाथ…
शिवादेवीनंद यदुकुलचंद,
बाविशमां जिनराज तमे,
ओ कामविजयी कामनगारा,
रैवतना शिरताज तमे,
तुज ध्यानथी क्रोडो तर्या,
मुज अभागीने पण तारजो,
बालब्रह्मचारी शिरोमणि,
नेमिनाथ मुजने उगारजो…(१)
शौरीपूरी च्यवन जन्म,
कर्म भूमि द्वारिके,
गिरनार आवी दीक्षालई,
केवल वर्या सहसावने,
निर्वाणभूमि पंचम टुंके,
मोक्षपद मने आपजो,
बालब्रह्मचारी शिरोमणि,
नेमिनाथ मुजने उगारजो…(२)
हे नाथ तारा मस्तके,
जल क्षीर धारा खळखळे,
तुज देह पर बिराजवाने,
पुष्पोंना मधुवन खिले,
मुज पर प्रभुजी कृपा करी,
चरणोमां मने स्थापजो,
बालब्रह्मचारी शिरोमणि,
नेमिनाथ मुजने उगारजो…(३)
हुं राह क्या अटकी पडु,
तमे माँ बनी संभाळजो,
मुज शिष्यना गुरु बनी,
मने साचो मार्ग बतावजो,
पाप कर्मोथी लेपाउ ना,
वैराग्य हैये दीपावजो,
बालब्रह्मचारी शिरोमणि,
नेमिनाथ मुजने उगारजो…(४)
जे तीर्थना पावन भूमिपर,
अरिहंतोनो वास छे,
जे तीर्थना वातावरणमां,
संयमनो सुवास छे,
ऐ गिरनारना गोदमां,
छे प्रभु तारो आसरो,
बालब्रह्मचारी शिरोमणि,
नेमिनाथ मुजने उगारजो….(५)