पडे पगलियां गुरूवरनां,
त्यां प्रगट थती दीपमाळा,
यशोविजय गुरुनां नामे,
छे झळहळता अजवाळां…
जय हो यशोविजयसूरि राज…
जय जय यशोविजय गुरुराज…
मारा यशोविजयसूरि राज…
प्यारा यशोविजय गुरुराज…(१)
ए मलके तो लागे,
संसारीनो संग परायो,
ए छलके तो भीतर उगतो,
शीतळ चंदन छांयो,
एनी वाचामां प्रगटे,
भगवाननां रूप निराळां,
यशोविजय गुरुनां नामे,
छे झळहळता अजवाळां…
जय हो यशोविजय सूरिराज…
जय जय यशोविजय गुरुराज…
मारा यशोविजयसूरि राज…
प्यारा यशोविजय गुरुराज…(२)
स्थिर-शांत ने शुद्ध स्वरूपी,
अखंड आनंद माणे,
ज्ञान-ध्याननां सूर्य-“उदय” थी,
परम-तेजने जाणे,
एनी आंखोमां अवतरती,
आतम-अनुभव-शाळा,
यशोविजय गुरुनां नामे,
छे झळहळता अजवाळां…
जय हो यशोविजय सूरिराज…
जय जय यशोविजय गुरुराज…
मारा यशोविजयसूरि राज…
प्यारा यशोविजय गुरुराज…(३)