पालीताणा मन भाव्युं प्रभुजी, नाम मीठुं मने लाग्युं;
त्यां तो बिराजे छे ऋषभ जिनेश्वर, नाभिना जाया प्रभुजी.
नाम मीठुं० १
पहेली टूंके जई पावन थाशुं, बीजी टूंके जई कर्म खपावशुं;
त्रीजे ते पाप पलाय प्रभुजी. नाम मीठुं० २
चोथी टूंके जई क्रोध न करशो, पांचमी टूंके जई मान न करशो;
छठे ते मायाने विसरो प्रभुजी. नाम मीठुं० ३
सातमी टूंके जई लोभ न करशो, आठमी टूंके जई ममतने तजशो;
नवमे ते दादाने भेटो प्रभुजी, नाम मीठुं० ४
दरिशनना प्रभु कोड पुरावो, बालकडानी लाज निभावो;
लब्धिसुरीअे गायुं प्रभुजी, नाम मीठुं० ५