Panchamee Tap Tame Karo (Hindi)

Panchamee Tap Tame Karo (Hindi)

पंचमी तप तमे करो रे प्राणी, जिम पामो निर्मल ज्ञान रे;

 पहेलुं ज्ञान ने पछी किरिया, नहीं कोई ज्ञान समान रे. पं०१

 नंदीसूत्रमां ज्ञान वखाण्युं, ज्ञानना पांच प्रकार रे,

 मति श्रुत अवधि ने मनःपर्यव, केवलज्ञान श्रीकार रे. पं०२

 मति अठ्ठावीश श्रुत चउदह वीश, अवधि छे असंख्य प्रकार रे;

 दोय भेदे मनःपर्यव दाख्युं, केवल अेक उदार रे. प०३

 चन्द्र सूर्य ग्रह नक्षत्र तारा, अेकथी अेक अपार रे;

 केवल ज्ञान समुं नहीं कोई, लोकालोक प्रकाश रे. पं०४

 पारसनाथ प्रसाद करीने, म्हारी पूरो उमेद रे,

 समयसुंदर कहे हुं पण पामुं, ज्ञाननो पांचमो भेद रे. पं०५

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