परमातमा… परमातमा…
परमातमा… तुजमां मोहायुं मन….
तुज स्मित परमनी प्रीत अनोखी जगावे,
ललचावे तुज गुण रसने माणवा,
आतमने परमातमनो रंग लगावे,
तलसावे हरपल तुजमां लयलीन थवा,
तुज प्रीतमां, तुज स्मितमां,
परमातमा… तुजमां मोहायुं मन….(१)
नहीं अस्त-व्यस्त हवे मस्त छुं,
तुज चरणोमां आश्वस्त छुं,
वालमा… परमातमा…
तुज विण हरक्षण हुं त्रस्त छुं,
भले होय उदय तो य अस्त छुं,
वालमा… परमातमा…(२)
प्रभु गुण अनुभवनी मस्ती प्यारी लागे,
हवे समतारसमां डूबकी व्हाली लागे,
प्रभु संगे मळे ते खुशी न्यारी लागे…(३)
मन रंगायुं छे आज परम वैरागे,
चल, “संयमस्पर्श” आतम भींजवा,
प्रभु प्रीतमां घेलो दुनियादारी त्यागे,
भगवद् भक्तिथी अंतरमनने रंगवा,
रहेवुं हवे तुज संगमां…
परमातमा… तुजमां मोहायुं मन…(४