श्री पार्श्वनाथ भगवान की आरति |Parshvnath bhagvan ki aarti |
(रागः- जय जय आरति आदि जिणंदा….)
जय जय आरति पार्श्व जिनन्दा, अश्वसेन वामाजी के नंदा
नील वरण कंचनमय काया नाग नागिन प्रभुदर्श सुहाया
ध्यावे नित नित होते आनन्दा….. ।।1।।
समवसरण प्रबु आप बिराजे तीनो लोक में दुंदुभी बाजे
देश बनारस के सुखकंदा ।।2।। ध्यावे…….
कमठ काष्ट के ढेर जलाए प्रभुजी जलते नाग बचाए
नाग वो जन्मे पद धरणेन्द्रा ।।3।। ध्यावे…..
मेघमाली धन जल बरसावे नासाग्रे प्रभु डूबन आवे
पद्मावती प्रभु चरण ऊंचावे मेघमाली समकित ले अभिनंदा ।।4।।
रत्नों भरी आरति उजवावे धरणेन्द्र पद्मावती आरति गावे
इन्द्र इन्द्राणीयां हर्ष भरन्दा ।।5।। ध्यावे…
चिंतामणीजी की आरति गावे सो नर नारी अमर पद पावे
आत्मा निर्मल शुद्ध करन्दा ।।6।। ध्यावे….