प्रभु सन्मुख बोलने की गुजराती स्तुतियाँ | Prabhu Sanmukh Bolne ki Gujarati Stuti
* आव्यो शरणे तमारा जिनवर करजो आश पूरी अमारी
नाव्यो भवपार मारो तुम विण जगमां सार ले कोण मारी
गायो जिनराज आजे हरख अधिकथी परम आनंदकारी
पायो तुम दर्श नाशे भव भय भ्रमण नाथ सर्वे अमारी ! (१)
देखी मूर्ति श्री पार्श्व जिन नेत्र मारा ठरे छे
ने आ हैयुं फरी फरी प्रभु ध्यान तारु धरे छे (१)
आत्मा मारो प्रभु तुज कने आववा उल्लसे छे
आपो एवु बल हृदयमां माहरी आश ए जे ! (२)
★ छ प्रतिमा मनोहारिणी दुःखहरी श्री वीर जिणंदनी
भक्तो ने छे सर्वदा सुखकरी जाणे खीली चांदनी
आ प्रतिमा ना गुण भाव धरीने जे माणसो गाय छे
पामी सघला सुख ते जगत नां मूर्ति वाणी जाय छे (३)
अन्तर्वासना एक कोडियामां दीप बले छे झांखो
जीवन ज्योतिर्धर एने निशदिन जलतो राखो
उंची उंची उडवा काजे प्राण चाहे छे पांखो
तमने ओलखु नाथ निरंजन एवी आपो आंखो ? (४)
* दया सिंधु दया सिंधु, दया करजे दया करजे;
मने आ जंजीरो मांथी, हवे जल्दि छूट करजे;
नथी आ ताप सहेवातो, भभूकी कर्मणि ज्वाला;
वरसावी प्रेमनी धारा, हृदय की आग बुझावजे ॥ (५)
जे दृष्टि प्रभु दर्शन करे ते दृष्टि ने पण धन्य छे;
जे जीभ जानवर ने सतावे ते जीभ ने पण धन्य छे;
पीये मुदा वाणि सुधा ते कर्ण युगलने धन्य छे;
तुज नाम मन्त्र विशद धरे ते हृदय ने पण धन्य छे ॥ (६)
हूं क्यांथी आव्यो क्यां जवानो तेनी पण मने खबर नथी
तो पण प्रभु लंपट बनी हुं क्षणिक सुख छोडुं नहीं
सुदेव सुगुरु धर्म स्थानों मला पण साध्या नही
शुं थशे प्रभु मेहर मानव भव चुक्यो सही (७)