प्रतिष्ठा की पावन पल आई,
हर अंतर में खुशियां लाई…(१)
पावनकारी, प्रभु की प्रतिष्ठा..
आनंदकारी, अर्हम् की प्रतिष्ठा..
जयजयकारी, जिनवर की प्रतिष्ठा..
कल्याणकारी, कुंथु की प्रतिष्ठा…(२)
दिल के देवालय में, देवाधिदेव आएँगे,
दिव्यता के दीपक से,
अज्ञान तिमर मिठाऐंगे,
परम की प्रतिष्ठा से पावन,
हो जाएंगे,
झूमेंगे, नाचेंगे और प्रभु में,
खो जाएंगे…(३)
पावनकारी, प्रभु की प्रतिष्ठा..
आनंदकारी, अर्हम् की प्रतिष्ठा..
जयजयकारी, जिनवर की प्रतिष्ठा..
कल्याणकारी, कुंथु की प्रतिष्ठा….(४)
प्रतिष्ठा की पावन पल आई,
हर अंतर में खुशियां लाई…(५)
पधारो… पधारो… प्रेमे पधारो,
प्यारे प्रभु कुंथुनाथ,
वडोदरा-सांचौरी में पधारो,
कल्याणकारी कुंथुनाथ,
कनक-राजेंन्द्र सूरीश्वरजी की,
कृपा का मिला है साथ,
राजशेखर और रत्नाकर,
सूरिजी का हम शिर पे हाथ..(६)