Pravrajya Nee Pankho Thee (Hindi)

Pravrajya Nee Pankho Thee (Hindi)

प्रव्रज्यानी पांखोथी, आर्हंत्यना आकाशे

आवुं, दोडी दोडी मारे मारा,

प्रिय प्रभुजी पासे जावुं…१

 

(प्रभु एक ज मम शरणम्… 

लक्ष्य मारूं छे भव-तरणम्…

 मळजो, मळजो, मळजो मने रजोहरणम्… 

मळजो मने रजोहरणम्…

 टळजो मम भव-भ्रमणम्…) २

 

अहीं सहुथी वधु जे प्रेम करे, 

तेनी ज कदर कोई करतुं नथी,

 निःस्वार्थभावे जे स्नेह धरे,

 तेने हैयामां कोई धरतुं नथी….३

 

संसारे न करतुं विचरणम्… 

विरति-वने करतुं विहरणम्…

 सद्गुणों करवुं विस्तरणम्… 

विभावोनं करवुं विस्मरणम्…४

 

दुःखोना भारने खुशीथी वहन करूं, 

बीजाना सुखने सुखेथी सहन करूं,

 दुःखो आवे त्यारे चिंतन गहन करूं, 

ईर्ष्या-काम अने क्रोधादिनं दहन करूं…५

 

मुज हाथमां हो उपकरणम्…

 मुज हैयामां हो जिन-चरणम्… 

मुज मनमां हो जिनआणा-धरणम्… 

गुरुमय हो मम अंतःकरणम्… 

(प्रभु एक ज मम शरणम्…) ६

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