रात को सोते समय इतना बोलो | Raat ko Sote Samay Itna Bolo
सोनानो कोड्यां रुपानी वाट
आदीश्वरनुं नाम लेता सुखे जाय दिन रात
नवकार नवकार तुं मारो भाई
तारेने मारे घणी सगाई
अंत समय याद आवशोजी
मारी भावना शुद्ध राखशोजी
काने मारे कुंथुनाथ आंखे मारे अरनाथ
नाके मारे नेमिनाथ मुखे मारे मल्लिनाथ
सहाय करे शांतिनाथ परचो पूरे पार्श्वनाथ
ज्ञान मारे ओशीके शीयल मारे संथारे
भर निद्रा में काल करु तो वोसिरे वोसिरे वोसिरे
मन्नह जिणाणं (श्रावककृत्यकी) सज्झाय
मन्ह जिणाणमाणं, मिच्छं परिहरह धरह सम्मतं,
छव्विह आवस्सयम्मि, उज्जुत्तो होई पइ दिवसं ॥१॥
पव्वेसु पोसहवयं दाणं सीलं तवो अ भावो अ
सज्झाय नमुक्कारो परोवयारो अ जयणा अ ॥२॥
जिणपूआ जिणथुणणं गुरुथुअ साहम्मिआण वच्छलं
ववहारस्स य सुद्धि रहजत्ता तित्थजत्ता य ॥३॥
उवसम विवेग संवर भाषा समिई छ जीवकरुणाय
धम्मिअजण संसग्गो करणदमो चरणपरिणामो ॥४॥
संघोवरि बहुमाणो पुत्थयलिहणं पभावणा तित्थे
सङ्काण किच्चमेअं निच्चं सुगुरुवएसेणं ॥५॥