राजस्थान राज्य से, मेवाड़ का गौरव है,
धूलेवा नगरी से, ऋषभदेव गांव से,
केशरीयाजी का बुलावा है.. (२)केशरीयाजीने बुलाया है,
केशरीयाजी श्वेतांबर जैनों का अभिमान है…(१)
ये तीर्थ की बड़ी, ही बलिहारी है,
केशरीयाजी दादा बड़े, ही मनोहारी है,
रावणने बनाईथी, प्रभुवरजी की ये प्रतिमा,
उज्जैन लाए थे, राम और सीतामाँ,
दिवाली आती है, पूजन सब करते है,
पूजन में केशरीयाजी, को याद करते है,
केशरीयाजी का बुलावा है.. (२) केशरीयाजीने बुलाया है,
केशरीयाजी श्वेतांबर जैनों का अभिमान है…(२)
एक मूलचंद नाम का श्रावक था,
गांव वडनगर था, रहता वो केशरीयाजीथा,
उसकी जब उम्र बड़ी हुई, वापिस घर जाना था,
प्रभु से यु बिछड़ने की, हृदय में वेदना थी,
ये वहीं वेदना थी, जो जय जय आरती बनी,
ये वहीं आरती जो, संघ में सब गाते हैं,
केशरीयाजी का बुलावा है.. (२) केशरीयाजीने बुलाया है,
केशरीयाजी श्वेतांबर जैनों का अभिमान है…(३)
प्राचीन तीर्थों को जान ले, इसकी महीमा पहचान ले,
तीर्थ अपने है, वो जिनशासन के प्राण है,
संकट तीर्थों पे है छा रहा, कई तीर्थों को है गंवा दिया,
हे शासन देवी-देवता, श्री संघ ये विनती है करता,
हे इन्द्र श्री मणिभद्रजी, हे यक्ष गौमुख राजजी,
हे माता श्री चक्रेश्वरी, ये विनती है श्री संघ की,
हे शासन देवी-देवता, श्री संघ ये विनती है करता,
ये तीर्थ की है दुर्दशा बड़ी, अपना होते अपना नहीं,
आज तो ये ठाना है, आज तो ये ठाना है,
केशरीयाजी जाना है, केशरीयाजी जाना है….
केशरीयाजी का बुलावा है.. (२) केशरीयाजीने बुलाया है,
केशरीयाजी श्वेतांबर जैनों का अभिमान है…(४)