Raivat Pati Prabhu Jay Jagdishwar (Hindi)

Raivat Pati Prabhu Jay Jagdishwar (Hindi)

रैवतपति प्रभु जय जगदीश्वर, नेमिनाथ प्रभु जय योगीश्वर ॥१॥

दीक्षा केवल शिव कल्याणक, महातीर्थ गिरनार सुतारक ॥२॥

शौरीपुर तीरथ के स्वामी, वंदो पूजो बेकरनामी ॥3॥

किरपा प्रभु की बरस रही ज्यों, सावन रिमझिम बरस रहा त्यों ॥४॥

सावन सुदि पंचम सुखकारी, जन्मे मति श्रुत अवधिधारी ॥५॥

श्यामवरण सोहे मुखचंदा, पूजे सुरनर नरपति इन्दा ॥६॥

महिमा वरणन कर ना पाउँ, चरणों में आ शीष नमाउँ ॥७॥

अद्भुत जीवन कथा निराली, जाके तोरण आये खाली ॥८॥

ब्याह बहाने दे संदेशा, जीवढ्या व्रत को उपदेशा ॥९॥

पशुओंने दिल रोय पुकारा, नेमिनाथ करुणा भंडारा ॥१०॥

हमें बचाओ हमें बचाओ, कृपया पास हमारे आओ ॥११॥

प्रभुने बाडा कुंडी खोली, भर दी प्रभुने उनकी झोली ॥१२॥

सावन सुद छठ का दिन आया, संयम ग्रहण करे सुखदाया ॥१३॥

मणपञ्जव सुय प्रभुने पाया, सहसावन की निर्मल छाया ॥१४॥

आसो अम्मावस दिन आला, आतम में छाया उजियाला ॥१५॥

प्रभुने पाया केवलज्ञाना, पाई सिद्धि नवे निधाना ॥१६॥

शुक्ल अष्टमी वर आषाढी, पाई प्रभुने शिवसुख वाडी ॥१७॥

रैवतगिरि का कण कण पावन, बारह मास लगे ज्यों सावन ॥१८॥

प्रेम नेम राजुल का प्यारा, नव भव पाया पूर्ण सहारा ॥१९॥

नवमे भव की प्रीति अखंडा, ना टूठे ना होवे खंडा ॥२०॥

आप बिराजो हृदय कमल में, नमन करत नित तुझ चरणन में ॥२१॥

मुझको दो जिनवर वरदाना, तुम पासे जलदी बस आना ॥२२॥

तुमसा मैं वैराग्य सु चाहूँ, तजि जम तुझ पद पंकज पाउँ ॥२३॥

प्रतिपल नाम मंत्र तुम सुमरूं, तुझ आणा में ही मैं विचरू ॥२४॥

तुमसे है प्रभु एक याचना, नेमि भक्ति की एक कामना ॥२५॥

सौध शिखर की धजा निराली, सोहे जिम अमरित की प्याली ॥२६॥

पंचटूंक युत तीरथ सोहे, करिय दरस भवि जन मन मोहे ॥२७॥

मेरुवसही खरतरवसही, कथा समर्पण गावे सब ही ॥२८॥

नेभि जिनेश्वर को नमो नमो नमः गिरिराज,

गिरि वंदन से हो सफल, मेरे सारे काज ॥२९॥

श्रद्धा संयुत भाव से, इकतीसे का पाठ,

जो नर नारी नित करे, होवे तस घर ठाठ ॥30॥

इकतीसा गिरनार का, लिखा भक्ति मन धार,

कान्ति मणिप्रभ वंदना, नेमि करो स्वीकार ॥३१॥

 

 

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