रोम-रोम संयमनी, लागी लगनिया,
वीर पंथे जाऊ मारे, मुक्ति नगरिया,
विरतीनो रंग लागो साँवरियाँ….(१)
चौद राज हवे, थाशे मारी दुनिया,
गुरु संग प्रीत लागी, तारी आ नैया,
विरतीनो रंग लागो साँवरियाँ…(२)
प्रभुना मिलननी, उरमा उमंगनी,
संयम स्नेह ज्यां खीले,
पळ-पळ आवे, तुं भारी पासे,
धडकन मारी तुं बने..(३)
प्रभु तारी रे प्रीती, पापोनी भीती,
प्रभु तारा चरणोमां, मारा वंदन,
तारा विरहनी, वात कोने कहुं,
राजुलनी जेम हुं तो तडप्या करूं,
विरतीनो रंग लागो साँवरियाँ…(४)