Saiyam Na E Shamana (Hindi)

Saiyam Na E Shamana (Hindi)

संयमना ए शमणा, क्यारे थाशे पुर्णम्,

रहेवुं नथी अळगा हवे, ओ व्हाला गुरुवरम्,

भटकी रह्यो छे, आतम मारो, तोडावो भवभ्रमण,

आपी मने रजोहरण, बनावोने श्रमण,

मम मुण्डावेह, मम पव्वावेह, वेशं समप्पेह…

शमणुं आ मारुं संयमनं, साकार करो,

मम मुण्डावेह, मम पव्वावेह, वेशं समप्पेह…(१)

उतरी कृपा तेथी तो हवे,

समजायुं मने मारामां छे, सुखनुं निधान,

अनंत आनंदमयी दशा..

एने पामवा ललचायुं हवे, मन मारूं,

कहो करवुं शुं हवे गुरुमाँ,

बतावी घो ने मने साधना…

संसार सागर तरवा, संयम नैया हुं याचुं,

प्रभुनी सामे आजे, ओ गुरुमैया नाचुं,

दुनिया बदलवा मारी, आव्यो छु हुं गुरुमाँ… गुरुमाँ,

मम मुण्डावेह, मम पव्वावेह, वेशं समप्पेह…

शमणुं आ मारुं संयमनुं, साकार करो,

मम मुण्डावेह, मम पव्वावेह, वेशं समप्पेह…(२)

समताना सुरो ने, सत्त्वनो ताल छे,

दीक्षा नथी आ प्रभु तारो व्हाल छे,

मोहनी हालत हवे बेहाल छे… बेहाल छे… बेहाल छे…

श्रद्धानी मुडी, वैराग्यनो रंग छे,

जीतवी मारे आ मोहनी जंग छे,

ओ गुरुमैया, हवे तारो हाथ दे…तुं साथ दे…तुं साथ दे…

छलकी रहां छे, आंखोमांथी, अश्रुनूं आ झरण,

आपी मने रजोहरण, बनावोने श्रमण,

मम मुण्डावेह, मम पटवावेह, वेशं समप्पेह…

शमणं आ मारुं संयमनुं, साकार करो,

मम मुण्डावेह, मम पवावेह, वेशं समप्पेह…(३)

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