Sath Girnar No | Jain Stavan | Hindi Lyrics

Sath Girnar No | Jain Stavan | Hindi Lyrics

Sath Girnar No (Hindi Lyrics) Jain Stavan

साथ गिरनारनो हाथ नेमनाथनो , 

होय जो मस्तके तो शो तोटो ;

अन्य स्थाने रही ध्यावे रैवतगिरि , 

चोथे भवे पामतो मोक्ष मोटो 

मात तात घातकी पातकी अति घणो , 

राय भीमसेन गिरनार आवे ;

मुनि बनी मौन धरी अष्टदिन तप तपी , 

उज्ज्यंतगिरिए मुगति पावे 

वस्तुपाल तेजपाल मंत्री साजनने , 

धार पेथड श्रावक भीमो ;

तीर्थभक्ति करी तन मन धन थकी , 

मनुज अवतार तस सफल कीनो 

छाया पण पक्षीनी आवी पडे गिरिवरे , 

भ्रमण दुर्गति तणा नाश थावे ;

जल थल खेचरा इण गिरि पर रही , 

त्रीजे भव मोक्ष मोझार जावे 

व्यक्त चेतन रहित पृथ्वी अप तेजसा , 

वायु पादप गिरनार पामी ;

तीर्थ महिमा थकी कर्म हळवा करी , 

सवि थया तेहथी मुगति गामी 

’रत्न’ , ’प्रमोद’ , ’प्रशांत’ , ’पद्मगिरि’ , 

’सिद्धशेखर’ , भवि पाप जावे ;

’चन्द्र-सूरजगिरि’ ’इन्द्रपर्वतगिरि’ , 

’आत्मानंद’ , गिरिवर कहावे 

कथीर कांचन हूवे पारसना योगथी , 

हेम परे शुद्ध निज गुण पावे ;

तिम रैवतगिरि योगथी आत्मा , 

पदवी वल्लभ लही मोक्ष जावे 

Related Articles