Sarvasva Maru Samarpanam | Jain Stuti | Hindi Lyrics

Sarvasva Maru Samarpanam | Jain Stuti | Hindi Lyrics

Sarvasva Maru Samarpanam – Guru Samarpanam (Hindi Lyrics) Jain Stuti

साक्षात प्रभु मने ना मळ्या, 

तेनो जरी अफसोस ना,

गुरु तु मळ्यो तो प्रभु मळ्या, 

अंतर महीं परितोष आ;

गुणरत्नो आपो शिष्यने, 

हैये करो पदार्पणम्,

उपकारी गुरुवर चरणमां, 

सर्वस्व मारु समर्पणम् …1

 

हृदयमां शासन वसे ने, 

बुध्धिमां तक घणा,

मुखमहीं शास्त्रो वसे ने, 

आत्ममां निःस्पृहना;

महाव्रतो तणा पालन महीं, 

तुज जीवन निर्मल दर्पणम्,

उपकारी गुरवर चरणमां, 

सर्वस्व मारु समर्पणम् …2

भटकेल भववने पथिकने, 

सन्मार्गदाता आप छो,

स्वामी सखा गुरु आप छो, 

अम बाळना मा-बाप छो;

पुण्योदये आ भव मळ्या, 

मळजो मने भवान्तरम,

उपकारी गुरुवर चरणमां, 

सर्वस्व मारु समर्पणम् …3

तुज मौनमां पण बोध छे, 

वैराग्यरसनो धोध छे,

अतिचारो पर तने क्रोध छे, 

सुखशीलतानो विरोध छे;

अजोड आप गुरु मळ्या, 

हर्षे करे मन नर्तनमु,

उपकारी गुरुवर चरणमां, 

सर्वस्व मारु समर्पणम् …4

संसारथी तमे उध्धर्यो, 

संस्कार आपी तमे घड्यो,

अविनय कर्यो में आपनो, 

तोये मनमां नवि धर्या

उपकार तारा केम भुलु, 

नित करु गुण कीर्तनम,

उपकारी गुरवर चरणमां 

सर्वस्व मारु समर्पणम् …5

अविनित ने उध्धत भले, 

तुज आज्ञाथी विपरित भले,

मोहरायना वशमां भले, 

विषयो महीं परवश भले;

पण शिश पर फरतो रहो, 

आशिषभर कर स्पर्शनम्,

उपकारी गुरवर चरणमां, 

सर्वस्व मारु समर्पणम्… 6

 

भुलो करु छु हुं घणी, 

करतो रहीश भूलो घणी,

सुधारजे गुरमां! मने, 

दोषोनी फोजने अवगणी;

वात्सल्य तारु पामवा, 

तुज गोदनुं आकर्षण,

उपकारी गुरुवर चरणमां, 

सर्वस्व मारु समर्पणम् …7

अज्ञानना अंधकारने, 

मिटाववा सूरज तमे,

दोष दुशमनोने काढवा, 

सैनिकतणी फरज तमे;

माळी बनो मुज जीवनना, 

विरागनुं करो वर्धनम्,

उपकारी गुरवर चरणमां, 

सर्वस्व मारु समर्पणम् …8

अरिहंतने ओळखावनारा, 

हे गुरु! वंदन तने,

जिनधर्मने समजावनारा, 

हे गुरु! नमन तने;

अनंत छे उपकार तारा, 

शेना करु हुं वर्णनम्,

उपकारी गुरुवर चरणमां, 

सर्वस्व मारु समर्पणम् …9

जो आवो हृदय सिंहासनम् तो, 

थाये कर्मो विसर्जन,

जो जो नयनमां अंजन”, 

तो थाये शुभनुं दर्शनम्;

भावो जे उमट्या आत्ममां, 

तुजने कर्या सर्वार्पणमु,

उपकारी गुरवर चरणमां, 

सर्वस्व मारु समर्पणम्… 10

प्रेम तारो त्रण भुवनमां, 

भानु जेम प्रभातनो,

जगाडे भीतरथी मने, 

भगाडे दोष प्रमादनो;

ब्रह्मांडमां जयघोष तारो, 

गुंजे छे जयसुंदरम्,

उपकारी गुरुवर चरणमां, 

सर्वस्व मारु समर्पणम्… 11

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