शंखेश्वरना दादा, मोटा महाराजा छे,
जेना प्रतापे सौ भक्तो, ताजा-माजा छे,
जेना प्रभावे रोगीजनो,
थई जाय साजा छे…
शंखेश्वरना दादा, मोटा महाराजा छे…(१)
तमे कमठ धरणेन्द्रने तार्या हां तार्या,
तमे बळता नागयुगलने प्रभुजी उगार्या,
तुज यंत्रनो महिमा भारी हां भारी,
तुज मंत्रथी मळे सुखशाता ने समाधि,
धरणेन्द्र पद्मावतीने प्राण प्यारा छे,
नोबतने शहनाई सह वागे वाजा छे…
शंखेश्वरना दादा, मोटा महाराजा छे…(२)
हुं याद करतो आवुं हां आवुं,
साथे ढगलो फरियादो लई आवुं,
कलुलात करवा आवुं हां आवुं,
प्रभु प्रेमथी रजूआत करवा आवुं,
लाखो करोडो सूर्यपण
जस आगळ झांखा छे,
तुज वदननुं तेज ‘आशिष’
रूपे खाजा छे…
शंखेश्वरना दादा, मोटा महाराजा छे…(३)