Shatrunjay Gadna Vasi Re (Hindi)

Shatrunjay Gadna Vasi Re (Hindi)

शत्रुंजय गढ़ना वासी रे…

 (राग : गुजराती गरबो…/ ओघो छे अणमूलो…/रूडीने रहियाळी रे…)

शत्रुंजय गढ़ना वासी रे, मुजरो मानजो रे,

सेवकनी सुणी वातो रे, दिलमां धारजो रे;

प्रभु में दीठो तुम देदार, आज मने ऊपन्यो हरख अपार,

 साहिबानी सेवा रे, भव दुःख भांजशे रे. सा०॥१॥

 एक अरज अमारी रे, दिलमां धारजो रे,

चोराशी लाख फेरा रे, दूर निवारजो रे,

 प्रभु मने दुर्गति पडतो राख, दरिसण वहेलं रे दाख. सा०॥२॥

 दोलत सवाई रे, सोरठ देशनी रे,

 बलिहारी हूं जाउं रे, प्रभु तारा वेशनी रे;

 प्रभु तारुं रुडुं दीठुं रूप, मोह्यां सुरनर वृंद ने भूप. सा०॥३॥

 तीरथ न कोई रे, शत्रुंजय सारीखें रे,

 प्रवचन पेखीने, कीधुं में पारखूं रे;

ऋषभने जोई जोई हरखे जेह, त्रिभुवन लीला पामे तेह. सा०॥४॥

 भवोभव मांगुं रे, प्रभु तारी सेवना रे,

 भावठ न भांजे रे, जगमां जे विना रे,

  प्रभु मारा पूरो मनना कोड, इम कहे ‘उदयरत्न’ करजोड. सा०॥५॥

Related Articles