शूरवीर सर्जे इतिहास अवनवा,
भावथी करे वहन ए पांच व्रत महा,
एवी श्रुंखलामां आव्या तमे,
जेने अंतरथी आ संयम गमे,
जोई वर्षोनी साची साधुता,
गुरु जाणे तमारी पात्रता,
आपता शिष्यने,
भगवती सूत्रना,
योगनी आज्ञा,
ने पदे स्थापना….१
आगमना उंडा रहस्योमां,
अवगाहना करवा,
अगम निगमना पदारथ पिरसी,
शिष्योने घडवा,
सर्व प्रकारनुं ज्ञान,
साथे कर्तव्यनुं भान,
आ गणिपदने काजे गुरुमाता,
आपता शिष्यने…..२
गणधर भगवंते आपेला,
श्रुतज्ञाननी साधना,
साथे भणावता सहुने जेथी,
शासननी प्रभावना,
जिनशासन छे श्रुत,
एनी रक्षामां अवधूत,
एवा साधुने काजे गुरुमाता,
आपता शिष्यने…..३
सरगम ‘संयम’नी गाता गाता,
विकसे जेनी साधुता,
‘प्रेम’नी साथे अनुशासनना,
‘भानु’ जे गाजता,
‘हेमपद्म’नी सुवास,
गुरु’कृपा’नी हो प्यास,
एवा साधुने काजे गुरुमाता,
आपता शिष्यने…..४