श्री अजितनाथ भगवान की स्तुति
(१)
विजया सूत वंदे, तेज थी ज्युं दिदी,
शीतलता चंदा, धीरता गिरी दो;
मुख जिम अरविंदो, जस सेवे सुरिंदर,
लहो परमानंदा, सेवता सुख कंदो.
॥ तारंगा तीर्थ अधिपति श्री अजित नाथाय नमः ॥
(२)
देखी मूर्ति अजित जिननी नेत्र मारा करे छे.
ने हैयु आ फिरि फिरि प्रभु ध्यान तारों धरे छे.
आत्मा मारो प्रभु तुज कने आववा उल्लास छे.
आपको एवं बाल हृदय माँ माहरी आश ए छे.