श्री संभवनाथ भगवान का स्तवन
संभव जानवर विनति,
अवधारो गुणज्ञाता रे;
खामी नहीं मुज खिजमत,
कदीय होशो फल दाता रे. संभव. १
कर जोडी उभो रहा,
रात दिवस तुम ध्यान में;
जो मनमां आणो नहीं,
तो शुं कहीए थाने रे. संभव. २
खोट खजाने को नहीं,
दीजीए वांछित दानो रे;
करुणा नजर प्रभुजी तणी,
वाधे सेवक वानो रे. संभव. ३
काल लब्धि मुज मति गणो,
भाव लब्धि तुम हाथे रे;
लडथडतुं पण गज बच्चु,
गाजे गयवर साथी रे. संभव. ४
देशो तो तुम ही भलुं,
। बीजा तो नवि जाचुं रे;
वाचक यश कहे सांसों,
फलशे ए मुज साचुं रे. संभव. ५