श्री माणिभद्रवीरजी की आरति | Shri ManiBhadra Ji ki Aarti |
(रागः- जय जय आरति आदि जिणंदा….)
जय जय आरति माणिभद्र ईन्द्रा, बावन वीर शीर मुगट जडींद्रा ।
तपगच्छ अधिष्ठायक विख्याता अतिय विघन दुःख हरो विधाता ।
तुम सेवकनां संकट चुरो, मन वंछित सुख संपदा पूरो ।
खडग त्रिशूल डमरु गाजे, मृगदल अंकुश नाग विराजे ।
षट् भूजा गज वाहन सुन्दर, लोढी पोशाल संघ वृद्धि पुरन्दर ।
विनये श्री आणंद सुरिधीर,
आशा पूरा मगरवाडिया वीर,
आशा पूरा उज्जनीया वीर,
आशा पूरा आगलोडीया वीर ।