Shrutgyan Ne Vandana | Jain Stuti | Hindi Lyrics

Shrutgyan Ne Vandana | Jain Stuti | Hindi Lyrics

Shrutgyan Ne Vandana (Hindi Lyrics) Jain Stuti

श्रुत दिप नी अजवालिका , श्रुत देवता मा सरस्वती

श्रुत हीर नी रखवाली महासागर समी मा भगवती,

तारी कृपा थी आज हु, करवा चाहू श्रुत गुण स्तुति,

जिन वचन नी रक्षा तणु , बळ आपजो हृदये धरी,-2

जे ज्ञान थी भावु सदा  , समकित दृष्टि ने वळी,

जे ज्ञान थी मळती सदा , मुझ हृदय ने शांति खरी,

जे ज्ञान थी निर्वे सदा , अवगुण विषय नी वासना,

प्रभु वीर ना हु गीत गायी , करू श्रुत ज्ञान ने वंदना-2

जे ज्ञान ना अंजन थकी , प्रकटे सदा निर्लेपता,

जे ज्ञान नी सरगम सदा , सुर रचे वैराग्य ना ,

जे ज्ञान नी प्रीति थकी , हृदये रमे वीतरागता,

प्रभु वीर ना सिद्धि प्रदायी , श्रुत ज्ञान ने वंदना-2

जे ज्ञान नी सरिता वहे , सुरीश्वरो ना ध्यान मा,

जे ज्ञान ना झरना वहे , गुरु वाणी रूप उपदेश मा,

जे ज्ञान मुजने लइ जशे , झटपट प्रभु ना वेशमा,

प्रभु वीर ना मुक्तित्व दायीं , श्रुत ज्ञान ने वंदना-2

छे श्रुत जेहना श्वास मा , ने श्रुत जेहना हृदय मा,

छे श्रुत रक्षा जेम ना , संकल्प ने वळी सिद्धि मा,

श्रुत देव नी कृपा वहे , जाणे सदा जस कलम मा,

श्रुत सेवी श्रुत रक्षक गुरु , गुणचंद्रसूरी ने वंदना-2

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