सोरठ देश हाँ गाजे,
जहाँ ऋषभजी बिराजे,
आवो सा पधारो…
साँवरे सोनाना मंदिर,
आनंदे आवो रे,
जयकारा गाओ रे…(१)
सोवन-वर्णी, हृदय-लुभाती,
मूरत प्रभुजी की है,
करुणा छलकती,
आँखे चमकती,
आदि प्रभुजी की है,
तेरी सूरत देखी लगे,
तेरे जैसा ना कोई मिले यहाँ,
तेरे संग ही खुशियाँ मिले,
ऐसी और कही ना मिले वहाँ,
अणसी पारसजी संगे,
संघ है आया रंगे,
आवो सा पधारो…
साँवरे सोनाना मंदिर,
आनंदे आवो रे,
जयकारा गाओ रे…(२)
गिरी शिखर पे ध्वजा लहरायें,
आनंद हैये न माए,
हर्ष-उल्लास के संगे सहु झूमे,
अंतर में भक्ति समाए,
प्रभु! आगे मैं बिनती करूँ,
हरजन्मों में ‘योग’ धरूँ,
तेरे मारग पे मैं भी चलुं,
‘परम’ भावोमें मैं ही रहूँ,
तेरी यादोंको लेके संगे,
जाता हुं भीगी आँखे,
प्रभुजी पधारो….
मेरे मन के मंदिर में
आपश्री आकर बिराजो रे,
आवो पधारो रे,
आकर बिराजो रे,
आनंदे आवो रे,
जयकारा गाओ रे…(३)