सुंदर फूल की थाल सजाएं,
मोतीअन के चौक पुराएं,
श्री जिनवर के द्वार पे आएं,
गाएं मंगल छंदा,
हो जय जय विजयानंदा…
हो जय जय अजितजिणंदा…(१)
नीलकंठ के पंख बिछाएं,
शहनाई और शंख बजाएं,
जनम जनम के डंक मिटाएं,
पाएं परमानंदा,
हो जय जय विजयानंदा…
हो जय जय अजितजिणंदा…(२)
रूप तुम्हारा सबको भाएं,
छबी तुम्हारी मन पे छाएं,
तेज के आगे टिक ना पाएं,
सारे सूरज-चंदा,
हो जय जय विजयानंदा…
हो जय जय अजितजिणंदा…(३)
रत्नों से भी सुंदर तुम्हारा,
साथ ये पाएं नंदुरबारा,
भक्तजनोंने आज पुकारा,
नारा ये बुलंदा,
हो जय जय विजयानंदा…
हो जय जय अजितजिणंदा…(४)
सौ-सौ साल से नंदुरबार में,
आपसे ही जय नंदा,
जुग जुग जीओ विजयानंदन,
जितशत्रु कुलचंदा…(५)