सुणो चंदाजी ! सीमंधर परमातम पासे जाजो;
मुज विनतडी प्रेम धरीने, एणी पेरे संभळावजो. सुणो चंदाजी…
जे त्रण भुवननो नायक छे, जस चोसठ ईंद्र पायक छे;
नाण दरीसण जेहने क्षायक छे. सुणो .. १
जेनी कंचनवरणी काया छे, जस धोरी लंछन पाया छे ;
पुंडरिगिणी नगरीनो राया छे. सुणो .. २
बार पर्षदामांही बिराजे छे, जस चोत्रीस अतिशय छाजे छे ;
गुण पांत्रीश वाणीए गाजे छे. सुणो .. ३
भविजनने जे पडीबोहे छे, तुम अधिक शीतल गुण सोहे छे,
रूप देखी भविजन मोहे छे. सुणो .. ४
तुम सेवा करवा रसियो छु, पण भारतमां दुर वासियो छु;
महामोहराय फसियो छु. सुणो .. ५
पण साहिब चित्तमां धरीयो छे, आणांखडग कर ग्रहियो छे
, तो कंईक मुजथी डरीयो छे. सुणो .. ६
जिन उत्तम पूंठ हवे पूरो, कहे पद्मविजय थाउं शूरो ;
तो वाघे मुज मन अति नूरो. सुणो .. ७