Swami tume Kai hindi lyrics

Swami tume Kai hindi lyrics

स्वामी तुमे कांई कामण कीधुं, चित्तडुं अमारुं चोरी लीधुं;

साहिबा वासुपूज्य जिणंदा, मोहना वासुपूज्य जिणंदा.

अमे पण तुम शुं कामण करशुं, भक्ते ग्रही मनघर मां धरशुं… साहिबा…

मनघरमां धरीया घर शोभा, देखत नित्य रहे थिर शोभा;

मन वैकुंठ अकुंठित भगते, योगी भाखे अनुभव युक्ते… साहिबा…

क्लेश वासित मन संसार, क्लेश रहित मन ते भवपार;

जो विशुद्ध मन घर तुमे आया, प्रभु तो अमे नवनिधि-ऋद्धि पाया… साहिबा…

सात राज अलगा जई बेठा, पण भगते अम मनमां पेठा;

अळगाने वळग्या जे रहेतुं,

ते भाणा खडखड दुःख सहेतुं… साहिबा…

ध्याता ध्येय ध्यान गुण एके, भेद छेद करशुं हवे टेके;

क्षीरनीर परे तुम शुं मिलशुं, ‘वाचक यश’ कहे हेजे हलशुं… साहिबा…

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