Tarki Kam Vachna Charya (Hindi)

Tarki Kam Vachna Charya (Hindi)

तार्किकम वाचनाचार्यं, दृढ़ वैराग्य धारकम्, 

साध्वीगणाधिपं वन्दे, सूरिमभयशेखरम्… 

जय जय गुरुदेव, जय हो गुरुदेव… 

अभयम्… अमृतम्…(१)

 

गुरु जयशेखरना दुल्हारा, प्रेम भुवनभानुना

प्यारा, जयघोष, धर्मजीत, यशोदेव,

राजेंद्रसूरिना न्यारा, जय जय गुरुदेव,

जय हो गुरुदेव….(२)

 

गुरु जयशेखरना दुल्हारा, प्रेम भुवनभानुना

सितारा, जयघोष, धर्मजीत, यशोदेव,

राजेंद्रसूरिना न्यारा,सुशीला नंदन,

मोहनना लाल, जिनशासनना शणगारा,

 शिष्योंना प्राण, श्रमणी सुकान, श्री संघना

तारणहारा,जीवन आधार, हृदयोद्गार,

सहु भक्तोंना गुरुवर, श्रमणी गणनायक,

गीतार्थतानुं शिखर, तार्किक शीरोमणि

गुरुदेव,श्री अभयशेखर सूरिवर…(३)

 

वात्सल्य प्रतिमा, अमृत एनी वाणीमां, 

लागे भानु सम, आचार ने शुद्धिमां,

 निर्मल पवित्र वळी, ब्रह्मचारी छे, 

महाज्ञानी शास्त्रोमां, छे वचन सिद्ध,

 मुक्तिगामीने, शिरोमणि तर्कामां, 

सम्यग् दर्शन, सिद्धिपठ लेखक, विश्व प्रसिद्ध

 “जेलर”, श्रमणी गणनायक, गीतार्थतानुं

शिखर, तार्किक शीरोमणि गुरुदेव,

श्री अभयशेखर सूरिवर…(४)

 

वाचना ना दाता, मुमुक्षुओनी माता, 

आलोचना प्रदाता, सहुना हैये समाता,

 निःस्पृही, निर्लेप, तपस्वी, चुस्त संयमी

 प्रभु भक्त, गीतार्थ गंभीर, चिंतन लेखक, 

शिक्षक साहित्य सर्जक,सूरिमंत्र आराधक,

 ने प्रवचन प्रभावक, शिष्य प्रशिष्य गुरुमैया,

 श्रमणी तणा गणनायक, जीवन आधार, 

हृदयोदगार, सहु भक्तोंना गुरुवर, 

श्रमणी गणनायक, गीतार्थतानुं शिखर, 

तार्किक शीरोमणि, गुरुदेव श्री अभयशेखर सूरिवर…(५)

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