Vahala Veerna Maragathee (Hindi)

Vahala Veerna Maragathee (Hindi)

व्हाला वीरना मारगथी,

प्रीति बांधी अभंग,

गरव तोड्यो मोहनो,

हे लाग्यो संयम रंग…(१)

 

संसार सागरने तरवा रे,

सफळ करूं अवतार,

तरुं भवपार, थावुं अणगार…..

 आत्म समर्पणना उत्सवे, सत्त्वनो टंकार,

 तरुं भवपार, थावुं अणगार…..(२)

 

हेऽऽऽ मनमां चाले बस योगनीं वात छे,

 ‘सोम’ना चरणे दिवस ने रात छे,

 गमे श्रमणीना आचार,

करूं निर्धार, थावुं भवपार,

संसार सागरने तरवा रे…(३)

 

वर्षोंथी सेवेला शमणा,

आज थशे साकार,

 तरुं भवपार, थावुं अणगार…

 निरागी-आत्म-परमलीना,

गुरुमैया आधार,

 तरुं भवपार, थावुं अणगार….(४)

 

हेऽऽऽ वेश श्रमणनो देवोए जनखे छे,

सुरेंद्रो-नरेंद्रो सदाय नमे छे,

 वंदना वारमवार,

तरे भवपार,

थशे अणगार,

 करूं निर्धार, थावुं भवपार…

 संसार सागरने तरवा रे…(५)

 

सिद्धितणा संकल्पनी,

घडी पल ‘पल’ना आनंदनी,

 निश्रा त्रिलोकीनाथनी,

ओघो लेवा थनगनी,

उजडा वरत्रोने अवधारी,

जुओ आ आव्या विरतीधारी,

दीक्षा सदा सुखकारी,

ए जगमां जयजयकारी….(६)

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