वननी मनोहर केडीए
मुजने सद्गुरु एक मळ्या’ता,
जेणे मारा जीवनपथमां,
विध-विध रंग पूर्या’ता,
प्रभु आज्ञानी धारे-धारे,
विचरे जेओ पंचमकाळे,
गीतारथ गुणीयल सद्गुरुवर,
प्रभुना शासनने अजवाळे…
गुरुवर मारा छे…
तारणहारा छे…
अनंत उपकारी गुरुवर…
प्राणोथी प्यारा छे…(१)
ओलीया अवधूत अलख निरंजन,
आनंदघन अवतार छे,
अचल-अडग ए वैरागीना,
चरणे भवनिस्तार छे…
गुरुवर मारा छे…
तारणहारा छे…(२)
ए गुरुवरनी साथे मैं तो,
प्रीत मझांनी बांधी,
गुरुए मारा जीव-जीवननी,
खूटती कडीओ सांधी,
गुरुनी मंगलवाणीए मारी
भ्रमणाओ सहु भांगी,
साचुं सुख मेळववानी
हले तालावेली जागी,
गुरुवर मारा छे…
तारणहारा छे…(३)
धन्य थई सोनेरी क्षणो जेने,
तमारी छांये रहेवा मळ्युं,
धन्य थयो मुज आतम जेने,
तमारा संगे रहेवा मळ्युं,
मारा मस्तक पर
तारो प्रेमाळ हाथ फरे,
जाणे मारा कणकणमां
ए अनंत उर्जा भरे,
गुरुवर मारा छे…
तारणहारा छे…(४)
लाख्खो तारा वच्चे विचरतो,
झळहळ सूरज एक छे,
तिम मारा गुरुवर छे विरला,
निरूपम जेनी नेक छे,
साचो मार्ग बतावी साथे,
अजवाळुं गुरुए आप्युं,
डग भरवा प्रभुना मारगडे,
सत्त्व परम हैये स्थाप्युं,
नथी हवे परवा संसारनी,
ए शुं बगाडशे मारूं?
मुजने मळ्युं छे गुरुकृपानुं,
बख्तर भवतारणहारूं,
तमारा चरणे रहेवुं मारे,
मारा हैये वहेवु तमारे,
मंगल वर वाजींतर वागे,
रोमे आनंद जागे…
गुरुवर मारा छे…
तारणहारा छे…(५)