वासुपूज्य विलासी, चंपाना वासी, पूरो अमारी आश..
करुं पूजा हुं खासी, केसर घासी, पुष्प सुवासी,
पूरो अमारी आश… वासुपूज्य विलासी… (१)
पूर्व भवे पद्मकर राजा,
वैराग्य रंग अपार; राज पाट वैभवने छोडी,
लीधो संयम भार; वीश-स्थानक साधी, जिनपद बांधी,
सुरगति पामी, पूरो अमारी आश… विलासी… (२)
पांच कल्याणक चंपापुरीमां,
कल्याणना करनार; मोक्षमार्ग उपदेशी प्रभुजी,
पहोंच्या मोक्ष मोझार; ए अंतर्यामी, त्रिभुवन स्वामी,
शिवगतिगामी, पूरो अमारी आश… वासुपूज्य विलासी… (३)
चैत्यवंदन करूं चित्तथी प्रभुजी,
गाउं गीत रसाळ; एम पूजा करी विनंती करुं छु,
आपो मोक्ष विशाळ; दियो कर्मने फांसी, काढो कुवासी,
जेम जाय नासी, पूरो अमारी आश.. वासुपूज्य विलासी… (४)
आ संसार छे घोर महोदधि,
काढो अमने बहार;
स्वारथना सौ कोई सगा छे,
माता-पिता परिवार;
बाळमित्र उल्लासी, विजय विलासी,
अरजी खासी, पूरो अमारी आश..
वासुपूज्य विलासी… (५)