Veer Jinand Jagat Upkari (Hindi)

Veer Jinand Jagat Upkari (Hindi)

वीर जिणंद जगत उपकारी, मिथ्या धाम निवारीजी,

 देशना अमृत धारा वरसी, परपरिणति सवि वारीजी.

वीर जिणंद०१

पांचमे आरे जेहनुं शासन, दोय हजार ने चारजी,

 युग प्रधान सूरीश्वर वहेशे, सुविहित मुनि आधारजी.

 वीर जिणंद०२

 उत्तम आचारज मुनि अज्जा, श्रावक श्राविका अच्छजी,

 लवण जलधिमांहे मीठुं, जळ पीवे श्रृंगी मच्छजी.

 वीर जिणंद०३

 दस अच्छेरे दुषित भरते, बहु मतभेद कराळ जी,

 जिनकेवळी पूरवधर विरहे, फणीसम पंचम काळजी.

वीर जिणंद०४

 तेहनुं झेर निवारण मणिसम, तुज आगम तुज बिंबजी,

 निशि दीपक प्रवहण जिम दरिये, मरुमां सुरतरु लुंबजी.

 वीर जिणंद०५

जैनागम वक्ताने श्रोता, स्याद्वाद शुचि बोधजी,

 कळिकाळे पण प्रभु तुज शासन, वरते छे अविरोधजी.

वीर जिणंद०६

 माहरे तो सुषमाथी दुषमा, अवसर पुन्य निधानजी,

 खिमाविजय जिनवीर सदागम, पाम्यो सिद्धि निदानजी.

वीर जिणंद०७

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