विरतीमां रंगुं हुं मनडुं मारूं,
साधु जीवननुं शमणुं प्यारूं,
अंगे-अंगे आनंद एनो लईए,
पार्श्व साधना दरबारे जईए,
चालो जिरावला सहु जईए,
चालो उपधान करवा जईए…
साधनाना द्वारे सहु जईए,
चालो उपधान करवा जईए…(1)
रंगायो आतम दुनिया रंगे,
अलगारी एने करवा,
गुरुवरोना विरागी वचनो,
निर्मल चित्ते सुणवा,
आराधनाना आनंद काजे,
तप-जपने करूं क्रिया,
नवकारना अधिकारी बनवा,
आया रे अवसरीया,
कुदरतना खोले उमंगे,
आतममां रमवा जईए,
चालो चालो रे…(2)
मरुधरनी भूमिमां,
जिरावला तीर्थ महान,
जगजयवंता दादा,
प्रभु पारसनुं गुणगान,
सूरि यशोविजयजीने,
साधु साध्वी संगे,
प्रभुनी वातोमां रंगाशुं,
गुरुमैया केरा रंगे,
श्रमणोना वृंदनी संगे,
रहेवानो ल्हावो लईए,
चालो चालो रे…(3)