ये मेरी अर्जी है..(२)
मैं भी तर जाउं,
अगर तेरी मर्जी है…(१)
तुं प्यार का सागर है..(२)
मुझको भिगोडे तुं,
तेरे प्रेमकी बूंदो में…(२)
तेरे प्राणो में आगम है.. (२)
मुझको डुबों दे तु,
तेरे ज्ञान के आनंद में…(३)
तेरी प्रीति प्रभुवर से..(२)
शबरी मीरा की तरहा,
बहोत ही निराली है…(४)
तुं अनासक्त योगी है..(१)
निःस्पृहता का मुझे,
अब पाठ पढ़ा तुं दे…(५)
तुं समंदर जैसा है.. (2)
गंभीरता की मुझे,
अब ‘दौलत’ तुं दे दे…(६)