Michhami Dukkadam Thoughts & Sms मित्रो, अनेक अवसरों पर स्वार्थ या प्रमाद के वश होकर जानकर या अनजान में विचारो का संतुलन बिगड़ जाता है, वाणी में कटुता आ जाती है , आचार से क्लेश पंहुचता है | मेरे व्यवहार से जाने अनजाने आपको किसी प्रकार का आघात पंहुचा हो…
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